Mile bhi to Aise
मिले भी तो ऐसे
मानो कोई साया
पिछे छूटा था
सालों पहले
दुबारा आ के
मिला हो जिस्मसे
या
जहन का कोई खाना
खुल गया हो यकायक
वहीं था सालों से
अनदेखा अनजाना
हुआ हो अहसास
बस
उसके वजूद का…
– गुरु ठाकुर
मिले भी तो ऐसे
मानो कोई साया
पिछे छूटा था
सालों पहले
दुबारा आ के
मिला हो जिस्मसे
या
जहन का कोई खाना
खुल गया हो यकायक
वहीं था सालों से
अनदेखा अनजाना
हुआ हो अहसास
बस
उसके वजूद का…
– गुरु ठाकुर
Your words are the ultimate nocturnal sunshine for my soul. ❤
Bahot Khub !
kya baat hai!!! love it!
I guess I had read it before years ago..absolutely beautiful!