Shanti
शांती
ठहाके, किलकारिया
खिलखिलाता
मीठा मासूम शोर
पनप ही रहा था
खुशबूसा चारो ओर
कि अचानक किसी
सरफिरेने आकर
अनगिनत गोलियाँ बरसाकर
सन्नाटा कर दिया…
सुना है
कुछ human rights वाले
ये कहकर उसकी वकालत कर रहे है
कि बेचारा ‘शांती ‘ बसाना चाहता था
महज तरीका गलत था…
– गुरु ठाकुर
किस मिट्टी के बने हो यार ! अपने अल्फाजोंको इतने बेहद अच्छे तरिके से कैसे पेश करते हो?